Covid19 india political issue | bharat par mahamari aur rajniti

कोरोना से बचाव या राजनीति

Covid19
Covid19 and politics

जैविक virus (कोरोनावायरस) की चपेट में है सम्पूर्ण विश्व पर राजनीति की जकड़न इस जीवाणु से भी ज़्यादा भारी है, कोरोना से तो हम जंग जीत ही जायेगे क्योंकि जिंदगी के लिए संघर्ष करना ही मानव की प्रवृत्ति हैं, जहाँ संघर्ष है वही जिंदगी है। परन्तु राजनीतिक पखवाड़े इस युद्ध के शकुनि मामा बने बैठे है,इस ढोंग से करोड़ो  जन मानुष प्रभावित है|
भारत में पहले भी इस तरह की महामारी का असर राजनीति पर पड़ा है, 1918 में स्पैनिश फ़्लू नाम की महामारी फैली थी लेकिन तब के समय में संकट की वजह सिर्फ समुचित साधनो की कमी थी ना की वर्तमान समय की राजनीतिक सुर्खिया|

विदेशो में सुर्खिया :-


विदेश स्तर पर भी देखा  जाए तो सम्पूर्ण ताकतों का रुख सिर्फ इस आरोप प्रत्यारोप पर है की ये महामारी china  लाया या usa. यकीनन वजह कुछ भी हो लेकिन इस महामारी दौर में भी राजनीति एक घिनौनी पहचान से अधिक कुछ  नहीं है|


विषाक्त राजनीति:-

विषाक्त हो गयी है देश की नींव जहाँ नित प्रति ईर्ष्या,द्वेष,धर्म के नये-नये बीज बोये जा रहे है। गरीब जनता को कोई पैसों से लुभा रहा है तो कोई दिखावा कर के ,राजनितिक दलों का उद्देश्य मदद देना नही मदद ले कर उन्नति वा देश मे सत्ता स्थापित किये रहना हो गया है। यहाँ आये दिन खींच तान सिर्फ मतदाता को लुभाने और नयी योजनाओं के नाम पर जनता को भटकाने की राजनीति चल रही है।
दो वर्गों में बट गया है युवा वर्ग का तबका यहाँ गली-गली में राजनीतिक दलाध्यक्ष मिलते है, कोई संविधान कोई विधान की बात बताता है, पर जो वास्तविक सच्चाई है उस पर पर्दा भलीभाँति दोनों ओर से डाला जाता है,कोरोना के संकट काल मे भी हमे इस बीमारी से खतरा नही वरन एक मजदूर , एक युवा वर्ग जो बेरोजगारी की मार झेल रहा है के मन मे उठ रहे अविश्वास के तूफान से है, जो आग की लपटों की भांति और धधकती व बढ़ती जा रही है, जो भविष्य नके लिए एक खतरा है|

क्या वास्तविकता कुछ और? 

वास्तविक जीवन मे जो कोविड 19 के लिए सुविधाओं को मुहैया कराने की बात टीवी चैनलो मे होता है वह असल ज़िन्दगी मे झूठ मात्र है |
कागजो मे कुछ और ही डाटा दिया जाता है जिसका वास्तविक जीवन से कोई ताल्लुकात नहीं है  एक मध्यम वर्गीय परिवार वस्तुत: साबुन से हाथ धोने तक ही सीमित है |
राजनीति के इस माहौल को कुछ काव्य पंक्तियों के माध्यम से देखा जा सकता है-

मौत के मंजर में राजनीति का खंजर 

"महामारी नही विकट जब तक राजनीति लिये स्थान है,
इस विश्व युद्ध के अवसर पर कहाँ गरीब पर ध्यान है,
सब अपनी कीर्ति के रक्षक है,
ये नेताओं के भेष में भक्षक है,
मजदूरों के पैर के छालों पर,
ये बेबुनियाद सवालों पर,
लड़ने का करते ढोंग है,
 हर दुष्कर्म में इनका सहयोग है,
वास्तविकता पर तर्क की तलवार है,
जनता इनके झूठ पर लाचार है,
बेचारों की लाचारी का करते प्रचार है,
यही बढते गरीब की चीख और चित्कार है।"

कुछ सवालो के साथ वक्तव्य को विराम दूँगा की इस महामारी के प्रकोप के मध्य क्या मतलब की राजनीति?  गरीब की मदद का दिखावा क्यो? मजदूर के रोष को बढ़ावा क्यो?निम्नवर्ग के लाज-लज़्ज़ा का प्रचार क्यों?निम्न वर्ग से ऐसा व्यवहार क्यो?

इन सवालों के उत्तर टिप्पणी के माध्यम से अवश्य दे -

Author:- सूर्यदीप पाण्डेय

Admin thanks: दोस्तों यह घड़ी संकट की घड़ी है जिसमे हम देशवाशियो का कर्त्तव्य है की लोगो तथा सरकार के साथ आपसी समझ बनाये रखे| आशा करता हूँ आपको यह लेख तथा इसमें लिखी ये पंक्तिया जीवंत रही हो|





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