रोकू गा नही,टोकू गा नही
ना आँखो के आन्सू को,
ना दिले-ज़स्बातो को|
कितना अजीब वक्त ये अब
ना आप रूक सकते,
ना हि मै रोक सकता|
अब किसी को बताना नही
दिले-हाल जताना नही,
ना आपके जाने की मजबूरी,
ना आपको रोकने की मजबूरी|
कितना बेबस हुए हम दोनो
रोते है यदि तो दुनिया पून्छेगी,
हसते है यदि तो मुहब्बत कोसेगी |
अब मुझे सोच के रोना मत,
होश अपना खोना मतl
दुनिया को एक दिन बताना है
सबको ये जताना है
दौड रही थी मेरे फूलो की कली ज़िस पर,
वो कोई गली नही l
वो गळी थी संघर्ष की
वो गळी थी संघर्ष की |
Written by shubham sork
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