कविता की उद्देश्य:- दोस्तो क्या अपने कभी सोचा है कि हम इंसान इतने व्यस्तता में जीकर भी वह सफलता अथवा शांति नहीं हासिल कर पाते क्यों?
आखिर क्यों दुनिया के कुछ गिने चुने लोग ही क्यों सफल होते है, इन्हीं अहम महत्वपूर्ण सवालों के उत्तर देने के लिए हमारे The sork group के चहीते member कवि हृदय,जिनके अंदर वाणी चतुर्यता भरी पड़ी है पंडित सूर्यदीप पांडेय द्वारा कविता के माध्यम से बताया गया है:-
*शीर्षक-कुछ बदलाव जरूरी है*
आखिर क्यों दुनिया के कुछ गिने चुने लोग ही क्यों सफल होते है, इन्हीं अहम महत्वपूर्ण सवालों के उत्तर देने के लिए हमारे The sork group के चहीते member कवि हृदय,जिनके अंदर वाणी चतुर्यता भरी पड़ी है पंडित सूर्यदीप पांडेय द्वारा कविता के माध्यम से बताया गया है:-
*शीर्षक-कुछ बदलाव जरूरी है*
किसी को समझने के लिए
उसके प्रति झुकाव जरूरी है,
इस संसार मे जीने के लिए,
जीवन मे बदलाव जरूरी है,(१)
मोह से छुटकारा पाने को,
एकलक्ष्य होने का भाव जरूरी है,
इस जीवन में निरंतरता लाने को,
अपनी सोच में बदलाव जरूरी है,(२)
किसी भी चीज़ को पाने को,
उसके प्रति लगाव जरूरी है,
मनचाही मंजिल तक जाने को,
अपने बर्ताव में बदलाव जरूरी है,(३)
वाणी मीठी रख कर के,
बातों में लहराव जरूरी है,
आगे बढ़ते रहने को,
रुख में बदलाव जरूरी है,(४)
साथ चलने वाले के भी मन का,
साथ रहने वाले से ठहराव जरूरी है,
दगाबाजी से बचने को,
अपने व्यवहार में बदलाव जरूरी है (५)
मौसम हो चाहे कैसा भी,
चेहरे पर मुस्कान जरूरी है,
हर पल को जी भर जीने में,
अंदर के गम में बदलाव जरूरी है,(६)
आगे की बाजी चलने को,
पीछे का पड़ाव जरूरी है,
जीत के खातिर लड़ते रहने को,
चालों में बदलाव जरूरी है ,(७)
किसी दर्द को अच्छे से जानने में,
एक गहरा घाव जरूरी है,
किसी अपने की पहचान पाने में,
परिस्थिति में बदलाव जरूरी है,(८)
जब रास्ता साफ ही दिख है रहा,
तो फिर किस बात की मजबूरी है,
निरंतर चलते रहने को,
पावों की गति में बदलाव जरूरी है ,(९)
प्रेम ही इस जीवन का सार यहाँ,
सब मानव जाति है परिवार यहाँ,
हर इंसान है लालच के आगे लाचार यहाँ,
जीवन मे मानवता ही है आधार यहाँ,
ऐसे मुश्किल वातावरण में,
दो पल प्रेम की छाव जरूरी हैं,
कुछ हो न हो इसका पता नही,
किंतु रोष का प्रेम में बदलाव जरूरी है,(१०)
जीते तो सभी है इस जहाँ में मगर,
जीने के लिए भी जान जरूरी है,
परिवर्तन की चाह में भी,
अपनी एक शान जरूरी है,(११)
पल भर में बिखरते है मोती,
एक मज़बूत गांठ जरूरी है,
अपने मंजिल फतह कर लाने को,
इक अच्छी सौगात जरूरी है,(१२)
क्षण भर में बदलते चहरों की,
पहचान में आंखों की नाव जरूरी है,
सब कुछ पा लेने को जीवन मे,
नजरिये का बदलाव जरूरी है ,(१३)
चाहत अगर हीरे की हो तो,
उससे अपनेपन भाव जरूरी है,
दुख सारे सह लेने का साहस है,
तो सुख को पाने की राह जरूरी है,(१४)
विकास करते हर सपने में,
अच्छी सोच और बात जरूरी है,
सपनों की इस दुनिया को पाने को,
अपने बातों में बदलाव जरूरी है,(१५)
कविताकार- सूर्यदीप पाण्डेय
लेखक के विचार- ''मेरे द्वारा लिखे हर शब्द का अपना एक मतलब है कविता को पढ़े नही बल्कि उसको आत्मसात करें , क्योकि समझ आने पर सब सरल हो जाता है चाहे वो जिंदगी हो या मंजिल"
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Sach kaha gaya hai badlav jaruri hai ... Nice poem
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