सूर्य ग्रहण - Surya grahan

सूर्य ग्रहण

Surya grahan
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सूर्य ग्रहण आकाशमंडल में होने वाली खगोलीय घटना है जिस घटना का संपूर्ण पृथ्वी लोक में और पृथ्वी में निवासरत सभी जीव जंतुओं के ऊपर कोई न कोई प्रभाव अवश्य पड़ता है|

 सूर्य ग्रहण क्यों होता है?

सूर्य ग्रहण को यदि धार्मिक अथवा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जब-जब राहु एवं केतु के द्वारा सूर्य एवं चंद्रमा को ग्रसित किया जाता है तो यही काल ग्रहण कहलाता है उसे ही ग्रहण लगना कहा जाता है|

लेकिन यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु सूर्य है और सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी चक्कर लगा रही है और पृथ्वी के चारों चंद्रमा ओर चक्कर लगा रहा है लेकिन जब कभी ऐसी स्थिति आती है जब सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीचो-बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्य, पृथ्वी पर आने वाली किरणों को कभी आंशिक तो कभी पूर्ण रूप से उन किरणों को चंद्रमा ढक लेता है इससे पृथ्वी पर अंधेरा दिखाई देने लगता है और यही ग्रहण( सूर्यग्रहण) कहलाता है|

विज्ञान की नजर में सूर्यग्रहण- विज्ञान के शोध के मुताबिक सूर्यग्रहण की घटना साल में कम से कम एक बार जरूर होता है|
Surya grahan
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सूर्य ग्रहण कब होता है?

सूर्य ग्रहण जब भी होता है अमावस्या की तिथि को ही होता है| सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है| सूर्य ग्रहण को देखने के लिए सोलर फिल्टर वाले चश्मे का प्रयोग करना चाहिए|

सूर्यग्रहण की सावधानिया जो हिंदू धर्म में मान्य है-

• ग्रहण के समय किसी भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है इसलिए मंदिर में प्रवेश ना करें साथ ही घर में भी पूजा ना करें तथा पूजा स्थल को पर्दे से ढक दें|

• ग्रहण के सूतक लगने के बाद भोजन नहीं पकाना चाहिए और ना ही ग्रहण करना चाहिए हालांकि शास्त्रों में बीमार,  बूढ़े,  बच्चों को इसकी कोई मनाही नहीं है|

• ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहना चाहिए क्योंकि इस समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा प्रभावी रहती है जो उन्हें प्रभावित कर सकती हैं|

• ग्रहण के दौरान सोना भी वर्जित माना गया है|

• ग्रहण अंधकार का सूचक होता है इसलिए इस समय बाल काटना,  दाढ़ी-मूछ., नाखून, घर में कलर और गुस्सा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए|

• शास्त्रों के अनुसार ग्रहण लगने से पहले खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी का पत्ता डालकर रखना चाहिए|

• ग्रहण के दौरान लगाता मंत्रों का जाप करना चाहिए|

• ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए दान आदि करना चाहिए|
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 सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथाएं-

 समुद्र मंथन- देवता और दैत्य के बीच समुद्र मंथन की योजना बनी इसमें यह निर्धारित किया गया कि जो अमृत की प्राप्ति होगी उसको बांटकर के पान कर लेंगे और अमर हो जाएंगे इसी योजना से समुद्र मंथन किया गया|

मदरांचल पर्वत की नथनी बनाई गचल पर्वत की मथनी बनाई गई और वासुकी नाग की राशि बनाई गई
 तथा सागर को मथने का प्रयास दोनों के द्वारा प्रारंभ हुआ और अमृत की प्राप्ति हुई इसी बीच देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत को लेकर विवाद गया|

समुद्र मंथन के विवाद को सुलझाने के लिए भगवान नारायण मोहिनी का रूप धारण कर वहां प्रकट हुए और उन्होंने कहा एक पंथ में देवता और दूसरी पंक्ति में दैत्यों को बैठने के लिए कहा तभी राहु नामक दैत्य देवताओं की पंक्ति बैठ गया और अमृत का पान कर लिया और जब सूर्य और चंद्रमा को पता चला कि राहु  ने देवताओं के पंक्ति में आकर अमृत का पान कर लिया तो उन्होंने मोहिनी( भगवान नारायण) शिकायत कर दी और भगवान नारायण ने क्रोध में आकर सुदर्शन चक्र से राहु नामक दैत्य का मस्तक, धड़ से अलग कर दिया चूंकि उसने अमृत पान कर चुका था इसलिए दोनों अमर हो गए तथा भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि एक का नाम राहु तथा दूसरे का नाम केतु होगा तथा इन्हें नवग्रहों में स्थान प्रदान कर दिया गया अभी से राहु और केतु प्रकट हो गए |

राहु और केतु को पता चला कि जो आज हमारी गति हुई है वह सूर्य और चंद्रमा के कारण हुई है इसलिए अमावस्या के दिन सूर्य को तथा पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को राहु ग्रसित करते हैं इसलिए सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण होता है|
 सूर्यग्रहण को लेकर कई मान्यताएं हैं शास्त्रों में इसे काफी महत्व दिया गया|
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सूर्य ग्रहण और विज्ञान - 

यह विज्ञान की नजर में एक खगोलीय घटना है | जो साल ने 2-3 बार हो सकती है, परन्तु यह जरूरी नहीं कि सभी सूर्य ग्रहण भारत में दिखे| जब चंद्रमा घूमते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है ऐसी स्थिति में सूर्य किरण पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती ,इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते है|

सूर्य ग्रहण और स्वास्थ्य -

 वैज्ञानिकों के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान कई खतरनाक विकिरण पृथ्वी तक पहुंचती है|यह रेडियेशन शरीर के नाजुक टिशू को नष्ट करने में सक्षम होता है| आंखो में यह असर रेटिनल सन बर्न कहलाता है |
सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को भी बाहर निकालने में मनाही की जाती है|
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सूर्य ग्रहण 2020

सूर्य ग्रहण 2020 में दो सूर्य ग्रहण लगेगा पहला 21 जून 2020, दूसरा 14 दिसंबर 2020

 वर्ष 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दिन रविवार को चूड़ामणि योग में खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में होगा| इस सूर्यग्रहण का ग्रहण स्पर्श होगा मृगशिरा नक्षत्र में और ग्रहण का मोक्ष होगा आर्द्रानक्षत्र में और यह ग्रहण संपूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा|

21 जून 2020 का सूर्यग्रहण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस सूर्य ग्रहण में कुछ महत्वपूर्ण संयोग बन रहे हैं जिसमे 21 जून को सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर होगा  और 21 जून के दिन रविवार पड रहा है यह सूर्य को समर्पित दिन माना जाता है| 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन संयोग दूसरी बार हुआ है पहली बार है 21 जून 2001 में पड़ा था|
भारतीय समय अनुसार इस ग्रहण का मानक समय-
 स्पर्श- प्रातः 9:16 बजे
 मध्य- दोपहर 12:10 बजे
 मोक्ष- दोपहर 3:04 बजे

सूर्य ग्रहण किन देशों में दिखाई देगा -

यह सूर्य ग्रहण भारत, पाकिस्तान, चीन, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो, ऑस्ट्रेलिया,  इथियोपिया, पाकिस्तान और चीन सहित अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
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 सूर्य ग्रहण का सूतक-

 सूर्य ग्रहण जब भी लगता है तो सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व भी ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो जाता है| सूर्य ग्रहण का स्पर्श 21 जून 2020 को प्रातः 9:16 बजे प्रारंभ हो तो इसके अनुसार 12 घंटे पूर्व 20 जून 2020 को रात्रि 9:16 बजे से प्रारंभ हो जाएगा|

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