आत्म-निर्भर भारत अभियान- Self-reliant india campaign

आत्मनिर्भर भारत अभियान

हमारे देश में हमारे लोगों को जिस चीज की आवश्यकता होती है वह हम खुद बना सके ऐसी क्षमता होनी चाहिए हमारे भारत में लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वैश्वीकरण का बहिष्कार किया जाएगा बल्कि दुनिया के विकास में मदद की जाएगी|
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          प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की गई| 21वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है| कोविड-19 से उपजे महामारी को एक संकट नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में देखना चाहिए इस महामारी ने हमें लोकल सप्लाई चैन का महत्व समझाया है लोकल सिर्फ जरूरत नहीं हम सबकी जिम्मेदारी है इसलिए हमें लोकल को अपनाना होगा|
पीएम नरेंद्र मोदी ने  "लोकल फॉर वोकल" का नारा भी दिया लोगों को लोकल प्रोडक्ट खरीदने के लिए और उनका प्रचार करने के लिए आह्वान किया साथ में भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा भी की|

 आत्मनिर्भर भारत का मकसद दुनिया से जुड़े रहते हुए आर्थिक विकास के साथ लोगों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है| आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य इतना नहीं है कि हमें कोविड-19  से लड़ना है बल्कि भविष्य के भारत का निर्माण करना भी है आत्मनिर्भर भारत महात्मागांधी के विचारों से मेल खाता है " ग्राम स्वराज्य की अवधारणा " से इन्होंने ग्रामों के विकास के लिए कुटीर उद्योगों को बल दिया जिसमें चरखा और खादी का प्रचार भी शामिल है|

 सरकार के द्वारा बनाया गया आत्मनिर्भर भारत की रणनीति-

जमीन:-

जमीन के बिना किसी उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती है और ना ही उत्पादन किया जा सकता है ऐसे में सरकार के द्वारा जमीन से संबंधित समस्याओं को दूर किया जाएगा|

 श्रम:-

 श्रम के बिना भी उद्योग और उत्पादन नहीं किया जा सकता लेकिन भारत में श्रम कानून को लेकर कई जटिलताएं हैं इसके लिए तार्किक कानून बनाए जाने की आवश्यकता है|

नकदी :-

आर्थिक गतिविधियों को चलाने के लिए भी नकदी का होना बेहद जरूरी है|

कानून:-

देश में ऐसे कई जटिल कानून भी है जो देश के विकास के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं इसके लिए कानून में बदलाव करना जरूरी है|
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        <आत्मनिर्भर भारत के आधार>

अर्थव्यवस्था:- 

 ऐसी अर्थव्यवस्था जो वृद्धिशील  परिवर्तन की जगह बड़ी उछाल पर आधारित हो|

अधोसंरचना:- 

ऐसी अधोसंरचना जो आधुनिक भारत के पहचान बने|

सिस्टम:- 

ऐसा सिस्टम हो जो 21वीं सदी के सपनों को साकार कर सकें|

आबादी :-

 दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हमारी आबादी ही हमारी ताकत है आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है|

मांग:- 

हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चैन का जो चक्र है,  जो ताकत है उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किया जाने की जरूरत है|

            आत्मनिर्भर भारत अभियान के आर्थिक पैकेज में कोयला खनिज, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन,  केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों, अंतरिक्ष क्षेत्र और परमाणु ऊर्जा के संरचनात्मक सुधारों पर भी फोकस किया गया है|
 रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बढ़ाने के लिए " मेक इन इंडिया " पर जोर दिया जाएगा|
         
               सामाजिक अवसंरचना क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने के लिए VGF(Viabillity Gap Funding) स्कीम को लागू किया जाएगा|

VGF:- 

सरकार जब किसी ढांचागत परियोजनाओं को व्यवसायिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराती है उससे "वायबिलिटी गैप  फंडिंग"  कहते हैं| राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे, शहरी परिवहन और बंदर गाय जैसी ढांचागत परियोजनाओं को VGF  के रूप में वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाती है जैसे-

* निजी क्षेत्र को इसरो की सुविधाओं और अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का इस्तेमाल करने की अनुमति|

* किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव करेगी अनाज, खाद्य तेल, दलहन, आलू, प्याज के बाजार भाव में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेंगे|


<आलोचना>
 इस पैकेज की आलोचना भी की जा रही है यह पैकेज  करोना वायरस संकट काल में जारी हुआ है उम्मीद की जा रही थी कि यह पैकेज  संकट में कई राहते देने वाला होगा लेकिन पैकेज में आर्थिक सुधारों के दीर्घकालिक उपाय ज्यादा है पर तात्कालिक राहत कम है|

" डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर " के तहत दी जाने वाली राहत राशि एक तो बेहद कम है और दूसरे जिनके पास जनधन खाता नहीं है वाह जरूरतमंद इससे वंचित रह गई है|
 एक आलोचना कर्ज देने से भी जुड़ी है कर्ज देने में केंद्र के खजाने से वास्तविक राशि खर्च नहीं होगी क्योंकि यह राशि ऋण के रूप में होगी जिससे अंततः लोगों को लौटाना ही होता है सरकार उचित मात्रा में पैसे खर्च नहीं कर रही है जबकि उचित खर्च करना अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था में जब खर्च बढ़ता है तो इससे खपत बढ़ती है और जब खपत बढ़ती है तो उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है इस तरह आर्थिक गतिविधियों का चक्र चलने लगता है तो प्रयास यह होना चाहिए कि गरीबों के हाथ में पैसे दिए जाने चाहिए जिससे वह खर्च करें और व्यापार चक्र रफ्तार पकड़ सके|
        एक आलोचना यह भी है कि पैकेज में घोषित नई योजनाओं को शामिल नहीं किया गया है बल्कि पुरानी योजनाओं को रीपैकेजिंग की गई है|

 चुनौतियां:-
 आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज भारत की GDP का लगभग 10 फ़ीसद है लेकिन इस पैकेज का वित्तपोषण करना काफी मुश्किल हो सकता है क्योंकि सरकार बढ़ते राजकोषीय घाटे को लेकर पहले से ही चिंता में है और लगातार इसे कम करने का प्रयास कर रही है| विदेशी बाजारों से भी उधार लेना मुश्किल है क्योंकि डॉलर की अपेक्षा रुपया कमजोर स्थिति में बना हुआ है|

          इसी तरह आत्मनिर्भरता वाली बात निभा पाना भी आसान नहीं होगा खासतौर पर व्यवस्थाओं के ऐसे दौर में जब अमेरिका के स्टॉक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाजारों पर सीधा असर डालती है|
बुनियादी ढांचे का विकसित ना होना भी एक सबसे बड़ी चुनौती है विदेशी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी बड़ी बाधा रही है इन्हीं चुनौतियों के कारण सरकार का " मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट "भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में विफल रहा है इसलिए हमें अपने अनुभवों से सबक लेते हुए ही आगे बढ़ना होगा|

   
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    <क्या प्रयास  होना चाहिए>

 इस समय पूरी दुनिया सप्लाई चैन के लिए विकल्प तलाश रही है ऐसे में भारत यदि बुनियादी कमियों में ध्यान देता है तो वह ग्लोबल सप्लाई चैन के सामने एक विकल्प के रूप में उभरने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बन सकता है|

       ऐसे ही भारत के अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को विनिर्माण क्षेत्र को विकसित करने पर ध्यान देना होगा ताकि बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन किया जा सके और देश की अवसंरचना को भी मजबूती दी जा सके|

        लॉकडाउन ने कुल मांग को कम कर दिया है मांग को बढ़ाने के लिए लोगों के हाथ में पैसा पहुंचना बेहद जरूरी है इसके लिए "ग्रीनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर"  में निवेश करने की जरूरत है ताकि बुनियादी संरचना का विकास हो सके|
       
         आत्मनिर्भर भारत के लिए केवल आर्थिक सुधारों के बलबूते आगे बढ़ना संभव नहीं होगा बल्कि सरकार को देश में समग्र सुधार को बढ़ावा देना होगा जिसमें श्रम सुधार, सिविल सेवा सुधार, कौशल सुधार, शिक्षा सुधार आदि शामिल है|

             कृषि क्षेत्र के लिए आपूर्ति श्रंखला आधारित सुधारों को बढ़ावा देना होगा ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल सके साथ ही पिछड़े राज्यों में लघु और कुटीर उद्योग, हथकरघा उद्योग, हस्तशिल्प उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास पर ध्यान देना चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन हो सके स्थानीय उत्पादकों को पहचान मिल सके और लोकल सप्लाई चैन मजबूत बन सके जिससे करोना संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए रूप में सामने आ सके|

Admin Thanks:- प्रिय आगंतुक!
मुझे आशा है की इस पेज में प्रस्तुत आत्म निर्भर भारत अभियान पर लेख आपको समझने मेँ बहुत सहायक रहा हों |

सदा ही हमारी टीम आपके पसंदीदा content को प्रस्तुत करने के लिए उत्साहित रहती है | 
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