दोस्तों इस कविता में "वर्तमान समस्याओं कि वजह क्या है?" इस पर पद्दात्मक तरीके से तीक्ष्ण व्यंगात्मक वार किया गया है।
यह सवाल देश की दशा पर है,देश के युवाओं से है , रोज मर्रा के कर्तव्यों से है।
तो आइए एक बार फिर खूबसूरत कविता का रसपान इसके सार्थक भावों को समझ के किया जाए।
यह सवाल देश की दशा पर है,देश के युवाओं से है , रोज मर्रा के कर्तव्यों से है।
तो आइए एक बार फिर खूबसूरत कविता का रसपान इसके सार्थक भावों को समझ के किया जाए।
Desh ki dasha par kavita |
*देश की स्थिति पर *
राजनीति के प्रपंच में,
बिकते ईमान के बाजार में,
बड़ी-बड़ी बातों के व्यापार में,
देश को छोड़ बैठे जो मझदार में,
बेवजह के दिखावे के तक़रार में,
देश के नेताओ के दवाब में,
आने वाले हर चुनाव में,
जनता की चीख़ और चीत्कार में,
मजदूरों और किसानों की बेबसी के प्रचार में,
हर क्षेत्र के प्रधान से ,
मेरे कुछ सवाल है?
बात बात में ढोंग पर,
चंद घटना के संयोग पर,
कुछ मुद्दे के आधार पर,
विश्वास के बाजार पर,
बिखरते सपनों के समुंदर से
खटास घुलती दिल के अंदर से,
विकास है या बस आस है,
देश के प्रधान से,
इस पर सवाल है?
इस पर सवाल है?
बढ़ते बवालों से लेकर,
जनता के सवालों तक,
बेरोजगारी की मार से,
भ्रष्टाचार के हथियार से,
गला घोटती हवा में,
बस नाम की दवा में,
प्रपंच पर प्रपंच में,
हम सब की लाचारी का,
बेबसी की बढ़ती बीमारी का,
देश मे बढ़ रहे अपराधों का,
नये नये गुंडों और दादो का,
सत्ता के मोह का,
आपस मे विद्रोह का,
चुप बैठे प्रशासन का,
केंद्र से कुशासन का,
कब तक चलेगा ये बाजार है,
इन सब पर मेरे कुछ सवाल है?
*युवाओं की जिंदगी पर*
जिम्मेदारी की तपन में तपता जा रहा हूँ,
जिंदगी में जिम्मेदारी है कि,
जिम्मेदारी ही जिंदगी है,
इस पर ही सवाल है,(१)
बेहतर से और बेहतर बनता जा रहा हूँ,
जिंदगी बेहतर है कि
बेहतरी से जिंदगी है,
इस पर ही सवाल है,(२)
सोचता हूँ रोज बढ़ने को कामयाबी के लिए,
जिंदगी सिर्फ कामयाबी से है कि,
कामयाबी पाना ही जिंदगी है,
इस पर ही सवाल है,(३)
*सबकी जिम्मेदारी पर*
रिश्ते निभाने की होड़ में,
इस मंजिल की दौड़ में,
छूटती उम्र की रफ्तार में,
मोह के भरे बाजार में,
बढ़ती धूप में छाव में,
अच्छे बुरे के चुनाव में,
विकास में बदलाव में,
अपने अपनों के लगाव में,
किस-किस के लिए ,
क्या-क्या करता जा रहा हूँ
बेवक्त मारा-मारा सा,
कभी खुद से हारा सा,
हार के मुँह से जीत निकाल के,
अपने आप को संभाल के,
सबकी हसरतों को , चाह के
अपने माँ- बाप की पनाह को,
सही साबित करने की ओर हूँ,
कब,कहा,क्यों कैसे करने की होड़ में,
क्या कैसे करता जा रहा हूँ,
इस पर ही सवाल है ?(२)
बेबाक सा बन के,
हर मुश्किल में तन के,
जीत के अंतिम छोर तक,
पकड़ बना रिश्तों की हर डोर तक,
कुछ अपनो के विश्वास पर,
अपने जज्बे की आस पर,
चलता जा रहा या बदलता जा रहा हूँ,
इस पर ही सवाल है?(३)
कविताकार- सूर्यदीप पाण्डेय
लेखक के विचार- ''मेरे द्वारा लिखे हर शब्द का अपना एक अर्थ है कविता को पढ़े नही बल्कि उसको भावों में धारण करें , क्योकि समझ आने पर सब सरल हो जाता है चाहे वो जिंदगी हो या मंजिल"
Admin Thanks:- आशा है दोस्तों आप इस ब्लॉग को बेहद पसंद करते होंगे । देश की स्थिति पर कविता मेरे कुछ सवाल हैं आपको अच्छी लगी होगी। सदा ही हमारी कोशिश रहती है की मै आगंतुकों के पसंदगी के साथ ही उनके लिए ज्ञानवर्धक, मोटिवेशन वाले कंटेंट, लेख, कविता लाता रहूँ |
मै इस ब्लॉग में अपना शत प्रतिशत देने का प्रयास करता हूँ फिर भी कोई गलती होती है या आपके मन में कोई बात उठती है तो अपना सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर दें |
यह भी पढ़े:-
Bahut khoob... Nice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
Thanks for comments!
मै समझता हूं आपने हमारे वेबसाईट के अवलोकन में महत्वपर्ण समय देकर हमारे THE SORK परिवार का मनोबल बढ़ाया है।
आपकी बहुमूल्य टिप्पणी टीम रिव्यू के बाद बहुत जल्द पब्लिश कर दी जायेगी।
THE SORK ब्लॉग में टिपपणीकर्ताओं को लेकर एक TELEGRAM में THE SORK GROUP बनाया गया है आप उसे जरूर ज्वॉइन करें।
इस लिंक पर क्लिक करके ग्रुुप में शामिल हों-
https://t.me/the_sork_group
Thanks and regards
The sork team