नाग पंचमी के मनाए जाने के बारे में क्या है असली वजह?
दोस्तों आज इस टॉपिक में हम बात करने वाले हैं नाग पंचमी के बारे में जो कि सावन के महीने में ही मनाया जाता है और संपूर्ण भारतवर्ष में इसकी मान्यताएं अलग-अलग है लेकिन आज धार्मिक रूढ़ वादियों से परे होकर आपको हम बताएंगे कि नाग पंचमी के मनाए जाने के बारे में क्या है असली वजह? और क्या है वैज्ञानिक तर्क?जो धार्मिक रूढ़िवादी मान्यताओं का खंडन करेगा।
Nagpanchami |
दोस्तों नाग पंचमी के दिन जो कि भगवान शिव के आभूषण माने जाते हैं लोगों की मान्यता है कि इस दिन वह सामने आते हैं और लोग उनकी कृपा पाने के लिए उनकी पूजा आराधना करते हैं उन को दूध पिलाते हैं और इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है उनका पूजा पाठ किया जाता है।
नाग पंचमी मनाने के पीछे कई चुनौतियां हैं लेकिन जो इसके पीछे वास्तविक प्रामाणिक वजह है वह इस प्रकार है-
प्राचीन काल से ही नागों को कई आडंबरों या डर वश इन्हें मार दिया जाता था। तब कोई सूट-बूट वाले भौतिक उपकरणों से सुसज्जित वैज्ञानिक नहीं होते थे। तब के हमारे वास्तविक वैज्ञानिक हमारे ऋषि हुआ करते थे। ऋषियों ने ही इसके प्रति चिंता जताई। वे केवल नाग को ही नहीं अपितु सभी वह जीव-वस्तु जो प्रकृति के संचालन में मददगार होते हैं उन सबके अस्तित्व को बचाने के लिए ऋषियों ने उनके महत्व से अवगत कराया और उन्हें वास्तविक कथाओं से जोड़कर साल में सभी महत्वपूर्ण जीवो के लिए एक पर्व सुनियोजित किया।
जैसे- नाग पंचमी के दिन नाग पूजा।
तुलसी विवाह के दिन तुलसी के महत्व को।
वट सावित्री के दिन बरगद के महत्व को।
नीम पूजा।
इस तरह सभी फलदार वृक्ष जैसे- आम,केला,नारियल तथा नदी, गाय जैसे महत्वपूर्ण प्रकृति संचालक जीवो के महत्व से अवगत करा कर संसार से परिचित कराया।
नाग पंचमी पूजा के वास्तविक तर्क-
भारत कृषि प्रधान देश है। हमारे पूर्वज नाग को कृषि रक्षक भी कहते थे क्योंकि खेतों में कीड़े-मकोड़े तथा चूहों की वृद्धि को सर्प नियंत्रित करते थे। और उनसे फसलों की रक्षा करते थे लेकिन वर्तमान मूर्ख मानव खुद को ही ईश्वर समझने की भूल में संपूर्ण प्रकृति नाशक बन चुका है।सर्प हमारे पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र के चक्र को भी पूरा करते हैं। यह हमारे लिए महती आवश्यक हैं। इन से डरे नहीं सर्प आपके मित्र हैं शत्रु नहीं।
नाग पंचमी और दूध पिलाया जाना सही है क्या?
वर्तमान अध्ययन तथा कई शोध यह सिद्ध कर चुके हैं कि सर्प दूध नहीं पीते क्योंकि शरीर में दूध के पाचन के लिए आवश्यक प्रोटीन केसीन उनके शरीर में अनुपस्थित होता है अतः सर्प को दूध पिलाने से इस बात की पूरी संभावना है कि उनकी मृत्यु हो जाए।समाज में व्याप्त सार्पो से जुड़े मिथ-
दोस्तों इतनी शिक्षा के बावजूद भी सरपो को लेकर समाज में बहुत बड़ी और झूठी मिथ फैली हुई है। जिसे हम आज समझते हैं इस लेख के माध्यम से।सर्प छूने से घर तक आते हैं?
लोगों की मान्यता है कि यदि कहीं वह गलती से खेतों में काम करते वक्त या रास्ते में सर्प को छू लेते हैं तो वह उन को डसने के लिए बदला लेने के लिए उनके घर तक पहुंच जाते हैं जबकि वैज्ञानिक रूप से यह बिल्कुल गलत है क्योंकि वह बदला लेने कभी नहीं आते उनकी याददाश्त इतनी तेज नहीं होती कि वह आप से बदला ले।देश की दशा पर कविता- मेरे कुछ सवाल हैं click here for full poem
उनके ब्रेन में सेरिब्रम नामक पदार्थ अनुपस्थित होता है जिसकी वजह से वह किसी भी चीज को कुछ क्षण मात्र के लिए याद रख पाते हैं।
सर्प को सुनाई देता है?
यह बिलकुल झूठा मानना है लोगों का क्योंकि सर्प के कान होते ही नहीं है और यदि कोई सोचता है कि यदि कान नहीं होते तो बीन की धुन पर क्यों नाचते हैं तो आपको बता दें कि बीन की धुन पर नहीं नाचते बल्कि बीन कि गति ही सर्प दोहराते है जिसे हम नाचना समझते हैं। बीन के प्रति उनका आकर्षण होता है।लोगों का मानना गलत है कि सभी सर्प जहरीले होते हैं-
जी हां दोस्तों मैं यह नहीं कह रहा कि सभी सर्प विषैले नहीं होते। लेकिन उनमें से कुछ ही विषधारी होते हैं। हमारे भारत में 243 सर्प की प्रजाति पाई जाती है। जिसमें से केवल 10% प्रजाति ही जहरीली होती है। उसके ऊपर या तो बहुत थोड़े कम विषैले होते हैं या तो नॉन व्हेनमुस (विषहीन) होते है।
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मुझे आशा है की इस पेज में प्रस्तुत लेख आपको बहुत ज्ञानवर्धन लगी हों | यह लेख समाज में व्याप्त अंधविश्वास को तोड़ने के लिए है। इसका उद्देश्य किसी भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना के लिए नहीं है।
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