biography of dr sarvepalli radhakrishnan- डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

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Dr sarvapalli radhakrishnan


अच्छा शिक्षक वह है जो जीवन पर्यंत विद्यार्थी बना रहता है और इस प्रक्रिया में वह केवल किताबों से ही नहीं अपितु विद्यार्थियों से भी सीखता है |

                                डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन परिचय-


 नाम-  डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

 जन्म- 5 सितंबर

 जन्म स्थान-  तिरूतनी गांव (तमिलनाडु)

 माता- सीताम्मा

 पिता- सर्वपल्ली विरास्वामी

 विवाह - सिवाकसु (1904)

 बच्चे-  5 बेटी 1 बेटा

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रारंभिक जीवन- 

  डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी (मद्रास)ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनके पूर्वज सर्वपल्ली नामक गांव में रहते थे इसलिए राधाकृष्णन के परिवार के सभी अपने नामों के आगे सर्वपल्ली उपनाम लगाते थे | इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी और माता का नाम सीताम्मा था|  राधाकृष्णन के चार भाई एक बहन थी |

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 इनके पिता के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी इस कारण राधाकृष्णन को बचपन से ही ज्यादा सुख सुविधा नहीं मिली | राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपनी दूर की चचेरी बहन सिवाकसु से शादी कर ली |

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन विद्यार्थी जीवन- 

 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण बचपन से ही मेधावी छात्र थे उनको क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न  मिशन स्कूल,  तिरुपति में 1896-1900 के मध्य पढ़ने के लिए भेजा गया| मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास से उन्होंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की|

 स्नातक की परीक्षा 1904 में कला वर्ग में प्रथम श्रेणी में पास की मनोविज्ञान इतिहास व गणित विषय में विशेष योग्यता प्राप्त की उन्होंने बाइबिल का अध्ययन भी किया क्रिश्चियन कॉलेज में उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली | 1916 में राधा कृष्ण ने दर्शनशास्त्र में M.A.किया | डॉ. राधाकृष्णन जी को अपने पूरे जीवन शिक्षा के क्षेत्र में स्कॉलरशिप मिलती रही |

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन कैरियर- 

 मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक पद पर नौकरी पा ली | 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी के द्वारा उन्हें दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया | अपने लेखों के द्वारा पूरी दुनिया को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित करवाया |
    1923 में इनकी एक किताब" इंडियन फिलॉसफी"
का प्रकाशन हुआ | यह पुस्तक पूरे विश्व के दर्शन की पुस्तकों में अग्रणी स्थान रखती है|
"ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी" ने इन्हें " हिंदूशास्त्र" पर भाषण देने के लिए अपने यहां पर आमंत्रण किया था | और उन्होंने कुछ समय तक इंग्लैंड की सबसे चर्चित यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में शिक्षण कार्य किया | 1939 में बनारस के प्रसिद्ध हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन हुए और 1948 तक इस पद को सुशोभित किया |

 शिक्षा को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पहला महत्व देते थे | यही कारण रहा कि वह इतने ज्ञानी,  विद्वान रहे शिक्षा के प्रति रुझान ने उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान किया | हमेशा कुछ नया सीखने के लिए उतारू रहते थे | डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन विवेकानंद और वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे |

स्वामी विवेकानंद पर जीवनी click here

राजनीति में आगमन-  राजनीति में इनका पदार्पण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कारण हुआ| डॉ. राधाकृष्णन जी 1947-1950 तक भारत के संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया आगे चलकर भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति ( 13 मई 1952- 13 मई 1962 ) बने |
जिस समय इन्हे उपराष्ट्रपति का पद मिला था बहुत सारे नेता इनके खिलाफ थे परंतु उन्होंने अपने ज्ञान और राजनीतिक कौशल से ऐसे कई कार्य किए कि हर कोई उनकी प्रशंसा करने लगा| 1962 में यह भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए इनका कार्यकाल काफी चुनौती भरा था| भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा| दो प्रधानमंत्रियों का देहांत भी इन्हीं के कार्यकाल के दौरान हुआ |

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन सम्मान व अवार्ड

1954 - सर्वोच्च अलंकरण "भारत रत्न" शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान के लिए

1961 - जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार

1962 - 5 सितंबर उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई

1962 - "ब्रिटिश एकेडमी" का सदस्य बनाया गया

1963 - "ऑर्डर ऑफ मेरिट" का सम्मान इंग्लैंड सरकार द्वारा

1975 - टेंपलटन पुरस्कार( अमेरिकी सरकार द्वारा मरणोपरांत)

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन  रचनाएं- 

 • द एथिक्स आफ वेदांत

 • द फिलॉसफी ऑफ रविंद्रनाथ टैगोर

 • माई  सर्च फॉर ट्रुथ

 • इंडियन फिलॉसफी

 • रिलीजन एंड सोसायटी

 • द एसेंशियल ऑफ साइकोलॉजी

 • रिकवरी ऑफ फेथ

 • रिलीजन साइंस एंड कल्चर

 डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार- 

 • एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है लेकिन उस जैसा कोई नहीं
दिखता |

• हमें मानवता को उन नैतिक जड़ो  तक वापस ले जाना चाहिए जहां से अनुशासन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो |

• किताब पढ़ना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देता है|

• केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है,  स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है|

• कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए|

• लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के लिए नहीं बल्कि हर एक मनुष्य के आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है|
• कहते हैं कि धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है |
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डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक दिवस- 

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में हर साल 5 सितंबर उनके जन्म दिवस को "शिक्षक दिवस"के रूप में मनाया जाता है | डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन अपने जीवन के 40 से अधिक वर्षों तक शिक्षण का कार्य किया और उन्हें पूरे भारत और पूरे विश्व में हमेशा उनके अतुलनीय योगदान के लिए जाना जाएगा |

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन अंतिम समय- एक लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल 1975 को डॉ. राधाकृष्णन का देहांत हो गया|


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