श्रमिक दिवस पर कविता- poem on labour day in hindi

श्रमिक दिवस पर कविता- poem on labour day

दोस्तों विश्व भर में हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन श्रमिको के अधिकारों को बचाने तथा उन्हें समाज में एक अहम जगह दिलाने के उद्देश्य से यह उत्सव दुनिया भर में मनाया जाता है। इस कविता के माध्यम से श्रमिको के कुछ छुपे पहलुओं को उनकी समस्याओं को कविता के माध्यम से कवि हृदय ने उकेरा है। तो आइए मनन करते है श्रमिक दिवस पर कविता।

world labour day
world labour day


शीर्षक - "मजदूर सब कुछ ढो रहा है"

इन हाथों का मोहताज  देश हैं

जिन हाथों में लकीरें घिस रहीं हैं ,


इन हाथो ने क्या नहीं बनाया 

तुम्हारा घर 

 गांव का तालाब 

उद्योग का हिसाब 

खेतो का अनाज 

गांव से शहर तक जाती सड़क ।


देखो 😒

सड़क पर  पिस रहीं हैं ,

पांव कि एडी घिस रहीं हैं।


खप्पर की छप्पर से चट्टानी छत तक,

कच्ची मिट्ठी की दीवारों से बड़े महलों तक।


छोटी झोपड़ियों से गगन चुम्मी इमारतों तक 

 शुक्ष्म, लघु ,कुटीर,से महकमी उद्योग तक।


बनाना,चलना, चलाना, सब कुछ समेटे इन हाथों ने 

क्या कुछ नहीं बनाया ,


कुआं बावड़ी से नल कूपो तक, 

छोटे ताल तालाबों से बड़े बांधों तक ।


खेत खलिहानों से

रेत की खानों  , कोयले की खदानों से 

बड़े विमानों तक ।


दोपहिया बहनों से बड़े तोप खानों तक ,

माल ढोने से मैला ढोने तक ।


कचरा उठाने से शव को उठाने तक ,

सत्या गृह से  स्वक्छा गृह तक ,

सब कुछ उठाया सब कुछ बनाया ।


हां कर्मो का भुक्तान लेकर बस अमल पर चैन से 

अब सो रहा है।

हां भले हीं बधुआ के बंधनों से मुक्त ,

वह उन्मुक्त नए नामों से संबोधित हो रहा हैं ।


दिहाड़ी, संगठित, असंगठित, कुशल, अकुशल, 

कृषि, उद्योग , घरेलू , मनरेगा , 

श्रमिक क़ाल खंड भी ,

चलता रहा हैं  अब द्रवित सा हों रहा हैं,

जिसने बहुत कुछ बनाया।


आकंछा, कामना मनों कामना ,

 सब प्रफुल्लित वेश हैं ।

अब इन्हीं को बाध गठरी सर ढो रहा है ,..

मजदूर सब कुछ ढो रहा हैं,,,।✍️

कठिन शब्दार्थ - 

  1. ढोना - बोझ एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाना।
  2. मोहताज - मुहताज (अरबी)- आशा करना
  3. पिसना - संघर्ष।
  4. छप्पर - मिट्टी लकड़ी का छत।
  5. गगन चुंबी - आकाश को छूने वाला।
  6. कुटीर- प्राथमिक स्तर का उद्योग।
  7. समेटे- इकट्ठा किए हुए।
  8. बावड़ी- पानी का एक स्रोत ।
  9. शव- मृत शरीर।
  10. बंधुआ- किन्हीं शर्त से बधा हुआ।
  11. दिहाड़ी - दैनिक मजदूर।

Admin thanks-  दोस्तों बहुत धन्यवाद आपका की आप हमारे इस पेज पर अपना बहुमूल्य समय दिए। मुझे आशा हि आपको यह श्रमिक दिवस पर कविता बेहद पसंद आई होगी।

हमारे मनोबल को बढ़ाने के लिए मै आपसे गुजारिश करता हूं कि अपने दोस्तो को परिवारों को यह कविता जरूर शेयर करे जिससे उनके भी मन में श्रमिको के प्रति सहानभूति की भावना का स्फूटन हो। 

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