कोरोना महामारी का मानव जीवन पर प्रभाव-
तय आपको करना है-
Covid-19 pandemic reality |
2020 को यदि प्रत्यक्षस: देखा जाए तो यह एक त्रासदी वर्ष कहा जा सकता है। जहां संपूर्ण मानव जाति शारीरिक, मानसिक, व्यापारिक, धन-धान्य हर जगह क्षति के अलावा कुछ नहीं पाया।
वर्ष के प्रारंभ से ही कोविड-19 महामारी ने जिस तरह से लोगों के व्यवहार और रहन-सहन में परिवर्तन लाया है, यह विचारणीय है।
इस लेख के साथ प्रस्तुत होने का उद्देश्य- कोरोना महामारी के डाटा को दिखाना नहीं है। ना ही इसको विकास में बाधा जैसे कारक बताना है, बल्कि यह 2020 में हुए अमूल्य परिवर्तनों का सकारात्मक और अनुकूलित पक्ष को रखने का प्रयास है।
सन् 2020 के त्रासदी वर्ष में हमने क्या कुछ नहीं खोया? प्रश्नों को छोड़ते हैं
और आइए हम समझते हैं कि सन 2020 ने हमें क्या सिखाया है:-
1) स्वच्छता- कोरोना महामारी के माध्यम से प्रकृति ने संपूर्ण मानव जाति को स्वच्छता के पलड़े को निरंतर भारी रखने की ओर संकेत दिया है।
हम भौतिकता में कितना भी आगे निकल जाएं। यदि इसके साथ प्रकृति में स्वच्छता ना हो, सामंजस्य ना हो, संतुलन ना हो तो यह भौतिकता सेकंड भर में स्थिर हो जाएगी। जिसका जीवंत उदाहरण लॉकडाउन से देखा जा सकता है।
दूसरी ओर छुआछूत को ओल्ड फैशन कहने वाले कुछ भ्रमित विद्वान भी इस महामारी से समझ ही गए होंगे कि पुरातन में बड़े विद्वान का मानना- कि बाहर के खानपान से परहेज, किसी अनजान व्यक्ति के हाथ से खान-पान का वर्जित रखना कितना उचित था।
2) योग, अध्यात्म और आयुर्वेद- जब संपूर्ण मानव जाति त्रासदी की मुख की ओर समाए जा रहा था तो इससे उबरने का सिर्फ एक ही उम्मीद थी जो जीवन को दीर्घायु बनाए रख सकती थी वह है योग, अध्यात्म, आयुर्वेद।
3) भावी विपदा से निपटने की मानसिक अभ्यास:-
इस महामारी ने 21वीं सदी के लोगों को एक बार फिर सचेत किया है कि यदि जीवन में संतुलन ना लाया गया तो प्रकृति से सामंजस्य बिगड़ने से कोई नहीं बचा सकता है।
4) अनाज की कीमत से अवगत कराया।
5) वस्तुतः देखा जाए तो हमें इस त्रासदी वर्ष ने संघर्ष करना सिखाया।
6) विपदा में सिर्फ घर परिवार ही एकमात्र आश्रय होता है।
7) एक-दूसरे की सहायता करना।
8) प्रकृति को सहेजना सिखाया।
9) यह बताया कि कैसे शादी और बारात को कम भीड़ और कम खर्च में भी किया जा सकता है।
10) सिर्फ मांसाहार ही जीवन को पोषण नहीं देता है हम इसकी जगह संसार की प्राथमिक आधार रखने वाले शाकाहार भोज्य को भी शामिल कर सकते हैं।
11) घर में रहने के लिए आवश्यक संयम दिया।
12) अमीरी गरीबी का भेद मिटाया जीवन का सही मूल्य क्या है यह समझने का उचित अवसर मिला।
विशेष:- कुछ डाटा हमें बताते हैं कि लॉकडाउन के परिणामतः विश्व की कई प्रदूषित नदी शहर पर्वत भी अपने शुद्धता के मानक के अंदर आ गए हैं।
* जैसे कि भारत की सबसे प्रदूषित नदी गंगा वर्तमान में यहां डालफिन मछली भी देखने को मिली है।
* माउंट एवरेस्ट को अब अंतरिक्ष से भी देखा जा सकने लगा है।
* दिल्ली के वायु प्रदूषण में काफी कमी देखने को मिली है परिणामता यहां की वायु शुद्धता अपने आदर्श पैमाने के अंदर है।
* गत् 25 मार्च से लेकर मात्र एक महीने की ही अवधि में गंगा- हरिद्वार से लेकर हुगली तक निर्मल होने लगी है।
* नैनीताल झील की पारदर्शिता तीन गुनी बढ़ गई। और जालंधर के लोगों को पहली बार लगभग 213 किमी दूर धौलाधर की बर्फीली पहाड़ियां नजर आने लगी है।
* NASA की एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन की इस अवधि में उत्तर भारत का वायु प्रदूषण पिछले 20 वर्षों की तुलना में सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है, जिससे आसमान से दृश्यता बढ़ गई है।
इन सब के पीछे की वजह भौतिकता के रुके हुए पहिए थे।
तो आइए हम 2020 से इन बातों को सीखते हैं और इसे त्रासदी वर्ष ना मानकर "काल गुरु" नाम दें।
जहां काल अर्थात मृत्यु से भी विजय होने का पथ दिया और दूसरा अर्थ काल अर्थात "समय चक्र"
समय चक्र का तात्पर्य है कि कभी ना कभी कहीं ना कहीं हमारे कर्मों का फल हमें ही घूम फिर के मिलता है।
आइए हम सब मिलकर सन् 2020 से सीखे हुए मूल मंत्रो को मनन करें और सन् 2021 का स्वागत करें तथा शपथ लेते हैं कि हर वह अनायास काम जो हमारे प्रकृति के प्रतिकूल हो उसे कभी ना दोहराएं।
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Bahut acha
जवाब देंहटाएंYah nibandh ham sab ke liye bahut madadjanak tatha labhkari rha
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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