क्रोध प्रबंधन: क्रोध प्रबंधन क्या है? Anger management in hindi
क्रोध प्रबंधन वह प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं
1) आपको या किसी और व्यक्ति को गुस्सा आ रहा है इन लक्षणों की पहचान करना सीखना।
2) परिस्थिति को सकारात्मक ढंग से शांत करने के लिए कार्यवाही का सर्वोत्तम तरीका अपनाना।
क्रोध प्रबंधन का अर्थ यह नहीं है कि अब गुस्से को दबा दें।
Anger management |
क्रोध प्रबंधन का महत्व: importance of anger management
गुस्सा संपूर्ण रूप से एक सामान्य मानव भावना है। वास्तव में यह गुस्से को ठीक ढंग से प्रबंधित किया जाए तो इसे एक सुस्त भावना माना जा सकता है। व्यक्ति को क्रोध क्यों आता है यह कोई गूढ़ रहस्य नहीं है हालांकि यदि इसे नियंत्रण में ना रखा जाए तो गुस्सा हमें अनुचित रूप से कार्य करने के लिए बाध्य करता है। और हमें कुछ ऐसा कहने या करने के लिए विवश कर सकता है जिसके विषय में बाद में हम संभवतः पछताए। जिसे बात-बात पर गुस्सा आए उस लोग क्या कहते हैं जैसे - गुस्सैल बैल आदि यह तो आप भलीभांति जानते होंगे।
गुस्सा करने से क्या नुकसान होता है?
1) अत्यधिक गुस्सा आपको शारीरिक रूप से चोट पहुंचा सकता है क्रोध से होने वाले रोग ह्रदय रोग, डायबिटीज, दुर्बर प्रतिरक्षा प्रणाली, अनिद्रा और उच्च रक्तचाप को बढ़ावा मिलता है।
2) आपको मानसिक रूप से चोट पहुंचा सकता है।
3) यह आपकी विचार शक्ति को उलझन में डाल सकता है। और तनाव तथा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
4) आपके कैरियर को नुकसान पहुंचा सकता है।
5) यह आपके सहकर्मियों वरिष्ठ में ग्राहकों को आपसे दूर कर सकता है।
6) आपके आदर में कमी का कारण बन सकता है।
7) आपके संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण आपके परिवार और मित्रों के लिए आप पर विश्वास करना, आपके साथ ईमानदार रहना और आपके आसपास सहज महसूस करना कठिन हो जाता है।
8) यह आपको गलत निर्णय कर डालने को उकसाने जैसा उत्प्रेरक साबित होगा।
9) यह आपके प्रवृति चित्रण कर समाज में आपके वैल्यू को काम करता है।
10) गुस्सा अहंकार को जन्म देता है,और जब तक गुस्सा खत्म होता है तब तक आपसे रिश्ते,नाते तथा ऐश्वर्य सब कुछ खत्म हो जाता है।
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इसलिए क्रोध प्रबंधन या गुस्से को उचित रूप से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
गुस्से को कैसे कंट्रोल करें: how to control anger in hindi
यह कुछ रणनीतियां है जो आपको अपना गुस्सा नियंत्रित करने में सहायता कर सकती हैं तो आइए जानते है गुस्से को काबू करने के 5 (पांच) बेहतरीन तरीकों को -
1) प्रथम रणनीति: विश्राम करना, गुस्से से भरी भावनाओं को शांत करने में, गहरी सांस लेने और तनाव मुक्त करने वाले चित्रों को देखना जैसी सरल गतिविधियां उत्कृष्ट परिणाम देती हैं। इस सरल सांस लेने की व्यायाम को आजमा कर देखें।
A) फर्स्ट अपने डाई फ्रॉम से गहरी सांस लें। (अपनी छाती से सांस ना ले)
B) अपनी सांस को अपने पेट से आते हुए की कल्पना करें।
C) कोई शांत करने वाला शब्द दोहराते रहे। जैसे कि रिलैक्स या आराम से शब्द को दोहराते समय गहरी सांस लेते रहना।
D) अपने मन में किसी तनाव मुक्त करने वाले क्षण को विचार दे।(यह क्षण आपकी याददाश्त से या कल्पना से हो सकता है)
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विश्राम की इस तकनीकी का दैनिक रूप से पालन करें विशेषकर उस समय जब आप यह महसूस करें कि आपको गुस्सा आना आरंभ हो रहा है।
2) द्वितीय रणनीति: संज्ञानात्मक पुनर्गठन का अर्थ है आपके विचार करने के तरीके में परिवर्तन लाना।
गुस्सा आपको गाली देने अपशब्द बोलने, बढ़ा- चढ़ाकर बोलने और नाटकीय ढंग से व्यवहार करने के लिए विवश कर सकता है। ऐसा होने पर खुद को अपने गुस्से भरे विचारों को अधिक तर्कसंगत विचारों से बदलने के लिए बाध्य करें।
उदाहरण के लिए यह सोचने की बजाय कि सब कुछ बर्बाद हो गया, अपने मनोभावों को परिवर्तित करें और खुद से कहें कि अभी सब कुछ समाप्त नहीं हुआ है और गुस्सा करने से इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा।
3) तीसरी रणनीति: (समस्या का समाधान करना) -
ऐसी किसी समस्या पर गुस्सा होना जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते एक पूर्ण रूप से स्वभाविक प्रतिक्रिया है।
कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि भले ही आप कितना भी प्रयास कर लें आप जिस समस्या का सामना कर रहे हैं उसका कोई समाधान ही ना हो। ऐसे मामलों में उस समस्या का समाधान करने पर ज्ञान ध्यान केंद्रित करना बंद करें। और इसके बजाय उससे निपटने और उसका सामना करने पर अपना पूरा ध्यान लगाएं। खुद को याद दिलाएं कि आप इस परिस्थिति में निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे लेकिन यदि आप वांछित समाधान प्राप्त करने में सफल ना हुए तो आप खुद को इसके लिए उत्तरदाई नहीं मानेंगे।
4) चौथी रणनीति: (बेहतर संवाद)- जब आप गुस्से में होते हैं तो गलत निष्कर्षों पर शीघ्र पहुंचना बहुत आसान होता है। ऐसे मामले में आपको खुद को प्रतिक्रिया देने से रोकना होगा और कुछ भी कहने से पहले ध्यान से यह विचार करना होगा कि आप क्या कहना चाहते हैं आपके मन में जो भी बात आए उसे झट कहने से बचें। खुद को बाध्य करें यह ध्यान से सुनने के लिए कि दूसरा व्यक्ति क्या कह रहा है उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले बातचीत पर गौर करें।
5) पांचवीं रणनीति: (अपने परिवेश को बदलना)- यदि आप पाए कि आप के गुस्से का कारण आप के परिवेश में निहित है तो अपने परिवेश से खुद को थोड़े समय के लिए अलग करने का प्रयास करें।
अपने लिए कुछ व्यक्तिगत समय सुरक्षित करने का एक सक्रिय निर्णय लें विशेष रूप से व्यस्त और तनावपूर्ण दिनों में। यहां तक कि थोड़ा सा शांत या एकाकी समय भी आप को शांत करने के लिए आवश्य सहायक सिद्ध होगा।
इन सभी बिंदुओं को पढ़ने से अपने जाना की क्रोध पर विजय कैसे पाएं तथा अब जानते है कि गुस्सा आए तो क्या करें।
क्रोध प्रबंधन के लिए सुझाव: advice for anger management
निम्नलिखित सुझाव आपको अपने गुस्से को नियंत्रित में रखने में सहायक होंगे-
1) गुस्से में कुछ भी बोलने से पहले अपने विचारों को एकजुट करने के लिए थोड़ा समय लें।
2) जब आप शांत हो जाए तब अपने गुस्से के कारण को निश्चयआत्मक लेकिन गैर झगड़ालू ढंग से व्यक्त करें।
3) जब आपको महसूस हो कि आपको गुस्सा आ रहा है तो दौड़ने या तेज गति चहल कदमी करने जैसे किसी प्रकार का शारीरिक व्यायाम करें।
4) छोटे-छोटे अवकाश को अपनी दिनचर्या का भाग बनाएं।
5) गुस्से का इलाज योग, प्राणायाम, बेहतर संवाद,शांतिप्रिय जगहों में जाना हो सकता है यदि आप इनका नियमित पालन करें।
6) विशेष रूप से तनावपूर्ण दिनों में अपना ध्यान इस बात पर केंद्रित करने की बजाय की समस्या के कारण आपको गुस्सा आ रहा है इस बात पर ध्यान लगाएं कि आपको गुस्सा दिलाने वाली समस्या का कैसे समाधान किया जाए।
7) गुस्सा कम करने के लिए मंत्र - किसी भी घटना के प्रतिक्रिया देने से पहले विवेक से निर्णय लें।
8) इन सभी बिंदुओं से हमे एक प्रश्न का उत्तर तो मिल ही गया होगा - 'गुस्सा आए तो क्या करें?'
क्रोध पर नियंत्रण के उपाय:
1) जो व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाते हैं उनके विरुद्ध द्वेष की भावना रखने के बजाय उन्हें क्षमा करने का प्रयास करें।
2) तानो और अपमानजनक भाषा के उपयोग से बचें। इसके स्थान पर अपनी निराशा के कारण को विनम्र और परिपक्व ढंग से समझाने का प्रयास करें।
3) व्यक्ति को अक्सर इस बात पर जोर डालना चाहिए कि क्रोध पर नियंत्रण कैसे पाएं तथा क्रोध आने पर क्या करें यह पहले से रणनीति तैयार होनी चाहिए।
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