Nirasha se Bahar kaise nikle

निराशा से बाहर कैसे निकले- nirasha se bahar kaise nikle


रात और दिन की तरह मनुष्य के जीवन में आशा - निराशा के लक्षण आते जाते रहते हैं। आशा जहां जीवन में संजीवनी शक्ति का संचार करती है, वहां निराशा मनुष्य को मृत्यु की ओर ले जाती है, क्योंकि निराश व्यक्ति जीवन से उदासीन और विरक्त होने लगता है। उसे अपने चारों ओर अंधकार फैला हुआ दिखता है। एक दिन निराशा आत्महत्या तक के लिए मजबूर कर देती है मनुष्य को। जबकि मृत्यु के मुंह में जाता हुआ व्यक्ति भी आशावादी विचारों के कारण जी उठता है। श्रायार्थी को निराशा की बीमारी से बचना आवश्यक है यह तन - मन दोनों को ही नष्ट कर देती है।


निराशा को कैसे दूर करें - how to overcome despair


अतुलित वैभव, अनंत धन और अगणित सुविधाओं के होते हुए भी निराश व्यक्ति का जीवन इस संसार में भार तुल्य ही होता है। निराशा महा - व्याधि है, जो व्यक्ति की संपूर्ण आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों को नष्ट करके रख देती है। आशा, उल्लास और उत्साह विहीन जीवन में आनंद नहीं आता। निराशा को शास्त्रों में पाप बताया गया है। जिससे स्वयं को आनंद ना मिले और को भी कुछ प्रसन्नता ना मिले उस निराशा से आखिर फायदा भी क्या हो सकता है।

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Nirasha se kaise bache


जिन शक्तियों से मनुष्य जीवन के निर्माण कार्य पूरे होते हैं, उत्साह उनमें प्रमुख हैं। इससे रचनात्मक प्रवृत्तियां जागृति होती हैं और सफलता का मार्ग खुलता है। उत्साह के द्वारा सुलभ साधन और बिगड़ी हुई परिस्थिति में भी लोग आत्म-उन्नति का मार्ग निकाल लेते हैं।


निराशा से बचने के उपाय- ways to avoid disappoint in hindi


1. कर्तव्य को बोझ और विवशता समझकर नहीं जीवन का लक्ष्य समझकर किया जाना चाहिए।


2. उत्साह का अर्थ है अपनी मान्यताओं के प्रति दृढ़ता।


3. निराशा और कुछ नहीं मौत है पर लगन और उत्साह से मौत को भी जीत लिया जाता है।


4. निराश व्यक्ति जीवन से उदासीन और विरक्त होने लगता है।


5. निराशा एक ऐसा उत्प्रेरक है जो समय से पहले ही बुढ़ापा, मृत्यु, वियोग, हानि के क्षण दिखा सकता है।


6.निराशा से दूर रहने और जीवन को सरल आशावादी बनाए रखने का यह मार्ग है कि भविष्य के प्रति उज्जवल संभावनाओं का विचार किया जाए।


7. जो अपने ही लाभ के लिए जीवन भर व्यस्त रहते हैं उन्हें निराशा, असंतोष, अवसाद ही परिणाम में मिलता है यह एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक सत्य है।


8. स्वार्थ प्रधान जीवन ही निराशा के लिए उर्वरक क्षेत्र होता है।


9. जब निराशा घेल ले तो निराशा से बचने के लिए कला, संगीत, साहित्य, खेल, मनोरंजन, यात्रा, धार्मिक कृत्य आदि जीवन के अनेक पहलू हैं जिन्हें अपने दैनिक क्रम में स्थान देना आवश्यक होता है।


10. याद रखें ऊंची स्थिति प्राप्त करने के लिए पहले छोटे कदम उठाने पड़ते हैं।


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11.अपने विचारों को कार्य रूप में परिणित ना करने से भी निराशा पैदा होती है।


13. प्रसिद्ध दार्शनिक गूथे नहीं लिखा है "क्रिया में परिणित ना होने वाले विचार हि रोग बन जाते हैं।"


14. डॉ हेनरी ने भी ऐसे विचार दिए हैं- "मस्तिष्क जब अपने ही जाल में द्रुतगति से चक्कर लगाने लगता है और शारीरिक अवयवों को गति नहीं दे पाता, तभी निराशा उत्पन्न होती है।


15. जो हमेशा परमात्मा को अपने पास समझता है वह सभी निराशा और कष्टों से ऊपर हो जाता है। यहां परमात्मा कोई अजूबा नहीं बल्कि वह आपके ही अंदर की शक्ति होती है।


16. निराशा एक क्लीवता है और क्लीव व्यक्ति जीवन संग्राम से भयभीत होकर भागा - भागा रहता है।


17.जो निराश है वह कायर है और जो कायर है वह संसार का कोई भी कार्य नहीं कर सकता।


18. आहें भरना, उदास रहना, समाज और संसार को कोसते रहने का स्वभाव बन जाने से निराश ग्रस्त व्यक्ति को ना किसी से प्रेम हो पाता और ना अपनत्व।


19. लक्ष्य जितना बड़ा होगा विपरीतताएं भी उसी अनुपात में आएंगी।


20. निराश व्यक्ति के सोचने विचारने के तरीका रचनात्मक ना होकर नकारात्मक हो जाता है।


21. मुंशी प्रेमचंद के शब्दों में "निराशा चारों ओर अंधकार बनकर दिखाई देती है।"


22. लोकमान्य तिलक ने कहा है "निराश व्यक्ति के जीवन में कोई भी वस्तु प्रसन्नता नहीं भर सकती उसे पग - पग पर मृत्यु दिखाई देती है।


23. स्वेट मार्डन ने लिखा है "सभ्यता में उस व्यक्ति के लिए कोई स्थान नहीं जो जीवन से निराश हो बैठा है। ऐसे निराशावादी व्यक्ति ज्योति, भविष्यवक्ता आदि के पीछे चक्कर लगाते रहते हैं।


24. निराशावादी अपने पुरुषार्थ के बल पर भाग्य निर्माण करने की क्षमता को प्रायः भूल से जाते हैं।


25. निराशा ही है जो पुरुषार्थ को पंगु बना देती है।


26. जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए हमें स्वस्थ सबल रचनात्मक अनुभव की अत्यंत आवश्यकता है।


27.  आशावान व्यक्ति पौरुष के लिए सदैव समुद्दत रहता है।


28. आशा और आत्मविश्वास चिरसंघी है।


29. निराशावादी और आत्मविश्वास एक साथ कभी नहीं हो सकते है।


30. समाज उन तबकों को सदा खुद से दूर चाहती है जो निराशा जनक टिप्पणी करते रहते है। अतः समाज में शीर्ष स्थान पाने के लिए आशावान छवि बनाएं।

यहां आपने जाना को जब मन नीरश हो तो क्या करें।


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