janmdin kaise manana chahiye? | For what purpose are we born? | what is the main perpose of life?

Janmdin kaise manaye-

 हां हमेशा की तरह आज 15 जुलाई जो कि मेरा 27 वां जन्मदिन है लेकिन आज का दिन एक उत्सव क्यों?

मुझे लगता है जन्मदिन तो हमेशा जैसे ही एक साधारण दिन है और यदि यह दिन साधारण नहीं है तो हर एक दिन को भी जन्मोत्सव जैसे ही जीना चाहिए इसमें बुराई क्या है ? 

असल में हमारा हर एक दिन ही असाधारण है क्योंकि हम अगले पल में कहा रहते है यह अनिश्चित है।

असल मायने में आज के दिन हमें सचेत होने की जरूर होनी चाहिए जो इस बात को बताता है कि आप अपने जीवन में एक साल और मृत्यु के करीब आ गए हैं।

what is the perpose of life?

 

Kya janmdivas ek utsav hai?

 फिर यह उत्सव कैसे हो सकता है?

 क्या आप अपने मृत्यु की ओर जाते हुए एक आनंद का अनुभव कर सकते हैं? यदि सच में नहीं! तो फिर यह उत्सव कैसा?


 मेरे विचार से जन्मदिन वाले इस खास दिन का उपयोग एकांत में और एकात्म के लिए जीना चाहिए। दुनिया समाज से बिल्कुल दूर सिर्फ अपनी सांसों को महसूस करके अपने भूतकाल को आभार देते हुए वर्तमान में रहकर भविष्य की संभावनाओं के लिए जागृत होना चाहिए।


 आज का दिन केक, पार्टी या दुनिया के दिखावे में बर्बाद होने से कहीं बेहतर है कि हमें किसी नदी या समंदर के किनारे किसी पेड़ के छांव के नीचे पानी की कलकलाहट को सुने, हवा को सुने और सोचें कि अब तक आपने कितनी बार यह महसूस किया है कि आप सच में जीवित हैं!


 आप सांस ले रहे हैं! हम सुबह से शाम तक सिर्फ बहिर्मुखी जीवन को जीते हैं आज का दिन तो सिर्फ अंतर्मुखी होने का दिन है| आज का दिन तो सिर्फ स्वयं के भीतर देखने का दिन है कि आपने क्या अर्जित किया यह भटका हुआ समाज हमें सिर्फ भटकाने के लिए ही प्रेषित कर सकता है और उनमें से यह पार्टी, दिखावा एक है।


 जन्मदिन में हम कहते हैं कि आज से मैं 27 साल का हो चुका या 28 साल का हो चुका।

 नहीं! हम गलत हैं सच तो यह है कि मैं 27 साल को मृत्यु को दे चुका हूं। जिसे अब सोचने या उत्सव मनाने से सिर्फ वर्तमान बर्बाद हो सकता है। आज का दिन सिर्फ आत्म चिंतन का दिन होना चाहिए हमारा जन्म हुआ क्यों है?


 हमारे जन्म का उद्देश्य क्या है? what is the goal of our life?

 आखिर यह 27 साल में हमने क्या हासिल किया? और आने वाले अनिश्चित समय में हम कैसे चेतना में रहकर जी सकते हैं?

Aise Manaye Janmdin-

 वर्तमान में सबसे बड़ा धन एक शांत और विचार शून्य मन का होना है। और यही आपकी दौलत है। 

हम कहां भाग रहे हैं? इसको रोक के अपनी दिशा को सही करने की जरूरत है। आशा करता हूं आप सब इस दिन के महत्व को बखूबी महसूस कर पा रहे होंगे। तो चलिए आरंभ करते हैं एक नया सवेरा जो अब हमारे हाथ में है उसका उत्सव क्या मानना जो गुजर चुका है।

उत्सव हर दिन का होना चाहिए ।

प्रत्येक सवेरा ही इस प्रकृति का उत्सव है।

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